एक छोटा बच्चा
जिंदा था कहीं
अंतर्मन में,
इस दुनिया के
छल और कपट से दूर,
चाहता था बस
महसूस करना
थोड़ा सा अपनापन
और स्नेह तुम्हारा,
जिंदा रखें
उस बच्चे को,
हम हमेशा
अपने मन में,
तो ना हों ये
दर्द के रिश्ते,
जो छोड़ जाते
सन्नाटे मन में।
बच्चे तो कभी रोते,
कभी हंसते,
कभी झगड़ते,
आपस में
मिल ही जाते हैं,
जब उनके मन
मिल जाते हैं।
#ज्योत्सना
आपके लेखनी से मेरे बचपन के दिन याद आ गये. बहुत शानदार । आप भी हमारे ब्लॉग शब्द क्रांति www.jphans.blogspot.com पर पढ़ सकते है ।
ReplyDeleteआभार आपका.... जरुर प्रयास करुंगी आपके ब्लॅाग पर आने का....
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