कलम भी ढूंढती है वजह,
कागज पर चलने के लिए,
वजह ही खो जाये तो
कलम बेचारी क्या करे...!!!
मन के भाव कभी पिरोया करते थे,
शब्दों के धागों में,
भावशून्य हुआ जब मन तो,
वो धागा भी क्या करे...!!!
कलम अब चलती नहीं,
उतनी रफ्तार से,
मन की गति थम सी गई,
सुनकर कटु शब्दों के वार से...!!!
#ज्योत्सना
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