Thursday, 12 November 2015

शब्द

पता नहीं शब्द
कहाँ खो गये,
ढूंढा था बहुत
पर मिले नहीं,
प्रेरणा से ही
उपजे थे
और बिना उसके
बस खो गये
एक विरान डगर पर,
शब्दों का है मायाजाल
शब्द ही हंसाते हैं
शब्द ही रुलाते हैं,
शब्द ही बंधे हैं
मोतियों के जैसे,
शब्द ही ले आते हैं
खुशी में भी आँसू ,
शब्द ही बन जाते हैं
दु:ख में भी संबल..
करो न ऐसा प्रहार कभी 
शब्दबाण से,
जो छलनी कर दे
उस हृदय को
जो भरा हो आत्मिक भावों से,
भरा हो करुणा से,
भरा हो प्रेम से।
#ज्योत्सना

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