Sunday, 1 November 2015

निर्वात

कहा था तुमने निर्वात
निर्वात नहीं रहता,
भर जाता है
एक दिन,
देखो
तुम झूठे निकले।
ये जो शब्द थे तुम्हारे,
कहनेको अंतिम,
पर एक नई कविता
का प्रारम्भ थे,
दिन बीते, समय बीता,
पर ये निर्वात कभी
भर ना पाया।
#ज्योत्सना

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