उन अंतिम दो शब्दों
ने नाप लिया मन को,
दो दिल
मिले भी तो
अजनबी बन के।
बातें तो बहुत की
फिर भी दूरियां थी,
एक तरफ
खामोशी थी तो
एक तरफ
आँसू थे छलके।
ना जाने कब टूटे
ये अश्कों का बांध,
रोके से न रूके अब,
बहा ले जाये गर
गिले शिकवों को,
तो कितना अच्छा हो...!!!
#ज्योत्सना
No comments:
Post a Comment