सर्द हवायें बह रही हैं झूमती, मदमस्त होकर, कहीं दूर एक गरीब, बचा रहा खुद को झीनी एक चादर के अंदर,
किस्मत कैसी उसने ये पाई है, जाग रहा रातों में, खुद के वजूद को बचाते, समेटते, करता अगले दिन का इंतजार। #ज्योत्सना
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