Sunday, 13 November 2016

कुछ रंग भरने हैं, इस सूने कैनवस पर...

आज सोचा कि
तुम्हें कुछ भेजूं,
एक संदेश नया
जो मिटा दे
हर कड़वाहट को,
घोल दे मिठास
उन फीके हो चले
रिश्तों पर,
जो कुछ रंग भर दे
सूने कैनवस पर,
पहल तो करनी होगी
मुझे ही,
क्योंकि मैंने खोया जो है तुमको...!!!
#ज्योत्सना

Friday, 18 March 2016

तुम्हारी यादों में...

न हम बदलेंगे, न तुम बदलोगे,
बस बदल जायेगा ये वक्त,
आज गुमां है तुमको
अपनी ऊर्जा पर,
कल झुकी कमर होगी
तो याद जरूर करना
इस समय को,
जो बहा कर ले चला है
अपने साथ समेटे
इन खारी और मीठी यादों को,
बस वो ही साथ रहेगा तब
तुम्हारी यादों में
और शायद मैं भी...!!!
#ज्योत्सना

Wednesday, 16 March 2016

प्रेम की परिभाषा...

रात भर तकलीफ में
अक्सर तुम ही,
क्यों याद आते हो...?
ये समझ न सका दिल,
बस सोचती हूँ तुम्हें
अपने आस-पास,
सिरहाने बैठे तुमको
सुनना अच्छा लगता है।
वो नसीहतें देना,
वो प्यार से झिड़की देना-
"ख्याल नहीं रखती हो अपना"
खुद पर ये अधिकार जताना,
बोलो यही तो परिभाषा है ना,
प्रेम की...?
#ज्योत्सना

Monday, 22 February 2016

वो बाबुल का अंगना

मौसम हुआ सुहाना,
याद आया फिर दिन पुराना,
वो बाबुल का अंगना,
वो चंदा का आना,
वो नहरों की कल-कल,
वो पेड़ों का लहराना।
वो कोयल का कूकना,
वो पत्तों का झरना,
रोज सवेरे आंगन बुहारना,
वो पेड़ वो पौधे जो रोपे थे कभी,
उनका यूं मस्ती में झूमना।
कभी रोना, कभी हंसना,
जीवन की लड़ाई को लड़ते जाना,
आज फिर याद आया,
वो बाबुल का अंगना।
#ज्योत्सना

Wednesday, 10 February 2016

भोर का स्वप्न

खफा हूँ आज खुद से ही,
वो समझ बैठे कि
गुनाह उनसे हुआ है,
स्नेह की बारिश कुछ यूं हुई
कि पिघल पड़ा मन,
अश्रुबूंदों ने धो दिए
सब शिकवे गिले।
खिल उठा रोम-रोम,
बसंत ऋतु में
जब दो दिल
आज कुछ यूं मिले।
स्वप्न था शायद भोर का,
सुना है
सच होते हैं न भोर के स्वप्न...?
#ज्योत्सना

Sunday, 17 January 2016

मेरी दुनिया जहाँ केवल तुम ही हो...

अपनी एक अलग दुनिया
बसा रखी है मैंने,
जहाँ छोड़ आती हूँ
अपने हृदय में उठती
लहरों को शब्दों में पिरोकर,
बस मैं और मेरी दुनिया
जहाँ केवल तुमको
सहेजकर रखा है मैंने...!!!
#ज्योत्सना

हृदय में केवल प्रेम ही था...

हर बार जब भी आते
तब आँखों में
आँसू दे जाते तुम,
हृदय को बेध कर
शब्दबाणों से
छलनी कर जाते तुम,
प्रेम जिंदा है
तभी अब तक,
तुमसे नफरत
कभी हो ही नहीं पाई,
क्योंकि हृदय में
केवल प्रेम ही था
जो वही मैं तुम्हें दे पाई...!!!
#ज्योत्सना

तुम्हारे लौट आने की उम्मीद में...

याद आ जाती है वो झिड़की तुम्हारी,
जब मजाक ही तो किया था मैंने
और न जाने किसका गुस्सा
मुझ पर उतार दिया था तुमने।
दिल फट पड़ा था पढ़कर तुम्हारे
उन शब्द बाणों को
जो चीर गये थे हृदय को मेरे।
तब कुछ कह भी नहीं पाई
और अश्रुधाराओं ने रात भर सोने न दिया।
यकीन नहीं कर पाई कि
जिसको अपना समझकर ठिठोली की
उसने कितनी निर्दयता से छलनी कर दिया
उस हृदय को जिसमें केवल
तुम्हारा ही तो अक्स था।
क्या तुम्हें बोध भी न हुआ उस दर्द का
जो मुझे हुआ तुम्हारे शब्द बाणों से?
तुम्हीं तो कहते थे ना कि
तुम और मैं एक से हैं,
एक जैसा सोचते हैं,
एक जैसा महसूस करते हैं,
आत्मा से जुड़े हैं हमारे रिश्ते,
फिर अचानक क्यों
खोखले हो गये तुम्हारे शब्द?
कई बार खुद को झुकाया
उन रिश्तों को बचाने की खातिर,
पर तुम फासले ही बढ़ाते चले गये,
तुम्हारा अहम् सब खत्म कर गया,
उन मीठी यादों को,
उन प्यार के पलों को,
जीवन इतना कठिन भी तो नहीं था ना
जो तुमने अपने पग पीछे कर लिए....
आज बस तुम्हारी दी हुई
नफरत को संभाले हुए हूँ
और प्रेम को हृदय में संजोये
प्रतीक्षारत् हूँ तुम्हारे लिए...!!!
#ज्योत्सना

Saturday, 9 January 2016

अलविदा...

कभी अचानक जिंदगी में
यूं मच जाती है हलचल,
जिम्मेदारियों तले दब जाती हैं
तमाम खुशियां हरपल,
कहने का मन है
अब अलविदा सबको,
बस एक बोझ है मन पर,
कभी वापस लौटूं तो
शायद कह पाऊं,
बुला रही है कर्मभूमि,
मन लगता नहीं यहाँ,
चिंतित मन अब होने लगा,
देख अपेक्षाओं की कतार,
हर बार एक नई चुनौती
ले रही इम्तहान,
जाना होगा अब
चुनौतियों के आगे
करना होगा खुद को तैयार
लड़ने एक नई जंग जिंदगी से,
अलविदा अब...!!!
#ज्योत्सना