खफा हूँ आज खुद से ही,
वो समझ बैठे कि
गुनाह उनसे हुआ है,
स्नेह की बारिश कुछ यूं हुई
कि पिघल पड़ा मन,
अश्रुबूंदों ने धो दिए
सब शिकवे गिले।
खिल उठा रोम-रोम,
बसंत ऋतु में
जब दो दिल
आज कुछ यूं मिले।
स्वप्न था शायद भोर का,
सुना है
सच होते हैं न भोर के स्वप्न...?
#ज्योत्सना
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