Wednesday, 16 March 2016

प्रेम की परिभाषा...

रात भर तकलीफ में
अक्सर तुम ही,
क्यों याद आते हो...?
ये समझ न सका दिल,
बस सोचती हूँ तुम्हें
अपने आस-पास,
सिरहाने बैठे तुमको
सुनना अच्छा लगता है।
वो नसीहतें देना,
वो प्यार से झिड़की देना-
"ख्याल नहीं रखती हो अपना"
खुद पर ये अधिकार जताना,
बोलो यही तो परिभाषा है ना,
प्रेम की...?
#ज्योत्सना

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