Monday, 8 December 2014

मन के भाव (4)

                                             



1.  लौट आया वो पवन की मानिंद,
     निर्झर प्रेम बरसाता,
     अश्रुपूरित हुए नयनों से,
     मन विह्वल हो गाता,
     देखा उस को झिलमिल-झिलमिल,
     मन की गलियों के चौबारे,
     प्रेम रस बरसता नयनों से,
     जब देखूं उसको अपने द्वारे...!!!

2.  मन विभोर मंत्रमुग्ध हुआ,
    आहट हृदय पे हुई तुम्हारी,
    पल प्रतिपल रहूँ मन में तुम्हारे,
    यही कामना है हमारी...!!!

--ज्योत्सना

2 comments:

  1. अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

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