Friday, 6 January 2017

मौन का विराम...

बहुत दिनों बाद गौर से देखा तुमको,
माथे पर सफेद हो आये बालों की लटें
और आँखों पर चढ़ा चश्मा,
चश्मे के पीछे से तुम्हारी बोलती आँखे,
कितनी गंभीरता आ गई तुममें,

कभी वो दिन भी सोचती हूँ,
जब झगड़ा किया करते थे बच्चों की तरह,
हम दोनों ही नाराज़ हो जाते थे एक दूसरे से,
और फिर कितनी रातें यूं ही बीत जाती थीं,
भीगे तकिये के साथ,

पसर जाता था मौन एक लंबे अंतराल तक,
पर इस बार का मौन कुछ ऐसा गुज़रा
जैसे सदियां बीत गई तुमसे बात किए,
तुम्हारे सफेद हो आये बाल जैसे कह रहे हों,
बहुत देर कर दी मौन को विराम देने में।
#ज्योत्सना

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