अपनी एक अलग दुनिया 
बसा रखी है मैंने, 
जहाँ छोड़ आती हूँ 
अपने हृदय में उठती 
लहरों को शब्दों में पिरोकर, 
बस मैं और मेरी दुनिया 
जहाँ केवल तुमको 
सहेजकर रखा है मैंने...!!! 
#ज्योत्सना 
Sunday, 17 January 2016
मेरी दुनिया जहाँ केवल तुम ही हो...
हृदय में केवल प्रेम ही था...
हर बार जब भी आते 
तब आँखों में 
आँसू दे जाते तुम, 
हृदय को बेध कर 
शब्दबाणों से 
छलनी कर जाते तुम, 
प्रेम जिंदा है 
तभी अब तक, 
तुमसे नफरत 
कभी हो ही नहीं पाई, 
क्योंकि हृदय में 
केवल प्रेम ही था 
जो वही मैं तुम्हें दे पाई...!!! 
#ज्योत्सना
तुम्हारे लौट आने की उम्मीद में...
याद आ जाती है वो झिड़की तुम्हारी, 
जब मजाक ही तो किया था मैंने 
और न जाने किसका गुस्सा 
मुझ पर उतार दिया था तुमने। 
दिल फट पड़ा था पढ़कर तुम्हारे 
उन शब्द बाणों को 
जो चीर गये थे हृदय को मेरे। 
तब कुछ कह भी नहीं पाई 
और अश्रुधाराओं ने रात भर सोने न दिया।
यकीन नहीं कर पाई कि 
जिसको अपना समझकर ठिठोली की 
उसने कितनी निर्दयता से छलनी कर दिया 
उस हृदय को जिसमें केवल 
तुम्हारा ही तो अक्स था। 
क्या तुम्हें बोध भी न हुआ उस दर्द का 
जो मुझे हुआ तुम्हारे शब्द बाणों से? 
तुम्हीं तो कहते थे ना कि 
तुम और मैं एक से हैं, 
एक जैसा सोचते हैं, 
एक जैसा महसूस करते हैं, 
आत्मा से जुड़े हैं हमारे रिश्ते, 
फिर अचानक क्यों 
खोखले हो गये तुम्हारे शब्द? 
कई बार खुद को झुकाया 
उन रिश्तों को बचाने की खातिर, 
पर तुम फासले ही बढ़ाते चले गये, 
तुम्हारा अहम् सब खत्म कर गया, 
उन मीठी यादों को, 
उन प्यार के पलों को, 
जीवन इतना कठिन भी तो नहीं था ना 
जो तुमने अपने पग पीछे कर लिए.... 
आज बस तुम्हारी दी हुई 
नफरत को संभाले हुए हूँ 
और प्रेम को हृदय में संजोये 
प्रतीक्षारत् हूँ तुम्हारे लिए...!!!
#ज्योत्सना
Saturday, 9 January 2016
अलविदा...
कभी अचानक जिंदगी में 
यूं मच जाती है हलचल, 
जिम्मेदारियों तले दब जाती हैं 
तमाम खुशियां हरपल, 
कहने का मन है 
अब अलविदा सबको, 
बस एक बोझ है मन पर, 
कभी वापस लौटूं तो 
शायद कह पाऊं, 
बुला रही है कर्मभूमि, 
मन लगता नहीं यहाँ, 
चिंतित मन अब होने लगा, 
देख अपेक्षाओं की कतार, 
हर बार एक नई चुनौती 
ले रही इम्तहान, 
जाना होगा अब 
चुनौतियों के आगे 
करना होगा खुद को तैयार
लड़ने एक नई जंग जिंदगी से, 
अलविदा अब...!!!
#ज्योत्सना 
