Monday, 8 December 2014

मन के भाव (4)

                                             



1.  लौट आया वो पवन की मानिंद,
     निर्झर प्रेम बरसाता,
     अश्रुपूरित हुए नयनों से,
     मन विह्वल हो गाता,
     देखा उस को झिलमिल-झिलमिल,
     मन की गलियों के चौबारे,
     प्रेम रस बरसता नयनों से,
     जब देखूं उसको अपने द्वारे...!!!

2.  मन विभोर मंत्रमुग्ध हुआ,
    आहट हृदय पे हुई तुम्हारी,
    पल प्रतिपल रहूँ मन में तुम्हारे,
    यही कामना है हमारी...!!!

--ज्योत्सना

मन के भाव(3)

                                                          



1.  इक नई कहानी, इक नया तराना,
     ले आया ये जग का ताना बाना...!!!

2.  दूर क्षितिज़ पर सूर्य हो रहा निशा से मिलने को तैयार,
     प्यारी संध्या मचल उठी है कर सोलह श्रृंगार...!!!

3.  सूर्य किरणों के तेज से,
     दूर हो मन का अंधेरा,
     मन रोशन हो प्रतिपल,
     क्षण हो जब ये सुनहरा...!!!

4.  ढलता सूरज दे जाता है,
    सबको एक पैगाम नया,
    कल फिर सूरज निकलेगा,
    लेकर एक आगाज़ नया...!!!

5. छोटी-छोटी बातों से मिलती हैं खुशियां,
    खुशियों से मिलता है प्यार,
   जहाँ ये सब मिलें तो बनता है संसार...!!!

     --ज्योत्सना

Sunday, 7 December 2014

मन के भाव (2)

                                                           



1. भर आती हैं अब भी आंखें उसको देखकर,
    बस विचारों के युद्ध ने कभी एक न होने दिया...!!!

2. कहते हो रूठना मनाना,ये दुनिया की रीत है,
    कल जब हम ना होंगे तो मत कहना कि ये प्रीत है...!!!

3. कभी हम खामोश,कभी वो खामोश,
    लफ्ज़ बस इंतजार में हैं खामोशी के टूटने के...!!!

4. छोटी-छोटी खुशियां लाती हैं मुस्कान उदास चेहरों पर,
    चलो मनाये उनको जो उदास बैठे हैं...!!!

5. एक फीका सा जवाब आया,हाल उनका पूछा तो,
   अब भी रूसवाईयों के बादल छंटे नहीं दिल से...!!!

   --ज्योत्सना

Monday, 1 December 2014

मन के भाव (1)

                                                         

1.मन के कोरे कागज पे,
लिख डालो  नया एक गीत,
कल जब नया सवेरा होगा,
यादें होंगी मन की मीत...!!!

2.आज शब्द नहीं हैं कहने को,
   आंखें ये बरस जाना चाहती हैं...!!!

3. कोई रिश्ता नहीं जिससे,
    तो फिर ये नफरत का रिश्ता क्यों...???

4.न बांधो इनके बचपन को,
   उडने दो खुली हवाओं में,
   खुले आकाश में पंख फैलाने दो,
   छोटी-छोटी खुशियां पा लेने दो...!!!

5.मन विभोर मंत्रमुग्ध हुआ,
   आहट हृदय पे हुई तुम्हारी,
   पल प्रतिपल रहूँ मन में तुम्हारे,
   यही कामना है हमारी...!!!

   --ज्योत्सना