हर बार कहते हो मुझसे
पी जाती हूँ मैं अश़्कों को,
आँखों में उतर आती है
किसी बात पर जब नमी,
अचानक गायब हो जाती है,
बातों-बातों में,
यही कहना तुम्हारा हर बार होता है
कि पी जाती हूँ मैं अश़्कों को,
पर अब दूर हूँ तुमसे बहुत,
अब पी न पाऊँगी,
रोना ही है मुझको
अब जी भर कर...!
#ज्योत्सना
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