जिंदगी के किसी
मकाम पर आकर
असफल होना
कितना दुखदायी है,
यह आज मालूम हुआ!
वैसे पुरी तरह नही जानती
कि मैं सफल हुई या असफल,
क्योंकि तुम खामोश हो,
खामोश बिल्कुल खामोश!
क्यों,
क्या तुम्हें खामोशी
ज्यादा प्यारी है?
लेकिन
तुम्हारी खामोशी भी बहुत
कुछ कह जाती है मुझे!
छू जाती है मेरे अंतर्मन को,
झकझोर जाती है अंदर तक,
मुझे तुम्हारी खामोशी नही चाहिये,
कृपया दो शब्द मुझे
लौटा दो अपने
ताकि
समझा सकू अपने मन को!
मन न होता तो
ये स्थिति न होती
जो शायद
आज मेरे सामने है!
कभी मन कहता है
कि मुझे भी तुम्हारी तरह
कठोर बन जाना चाहिये,
लेकिन
दोनों ही एक जैसे
हो जायेंगे तो
रिश्तो के माने ही बदल जायेंगे....!!!
-ज्योत्सना (1996)
मकाम पर आकर
असफल होना
कितना दुखदायी है,
यह आज मालूम हुआ!
वैसे पुरी तरह नही जानती
कि मैं सफल हुई या असफल,
क्योंकि तुम खामोश हो,
खामोश बिल्कुल खामोश!
क्यों,
क्या तुम्हें खामोशी
ज्यादा प्यारी है?
लेकिन
तुम्हारी खामोशी भी बहुत
कुछ कह जाती है मुझे!
छू जाती है मेरे अंतर्मन को,
झकझोर जाती है अंदर तक,
मुझे तुम्हारी खामोशी नही चाहिये,
कृपया दो शब्द मुझे
लौटा दो अपने
ताकि
समझा सकू अपने मन को!
मन न होता तो
ये स्थिति न होती
जो शायद
आज मेरे सामने है!
कभी मन कहता है
कि मुझे भी तुम्हारी तरह
कठोर बन जाना चाहिये,
लेकिन
दोनों ही एक जैसे
हो जायेंगे तो
रिश्तो के माने ही बदल जायेंगे....!!!
-ज्योत्सना (1996)
