घर में शांति रहे,
ये सोचकर
अपनी इच्छाओं का
घोंट देता है गला वो।
बात ज्यादा न बढ़े
ये सोचकर
कई बातों को
कर देता है अनसुना वो।
खाने का शौकिन है बहुत
फिर भी रोज
वही सादी रोटी सब्जी को
बिना शिकायत खा लेता है वो।
सब कुछ पास होते हुए भी
बस मर्यादाओं की सीमा में
बंधा है वो।