Wednesday, 8 July 2020
'देवदार व बोगेनविलिया' का मोहब्बतनामा, अब केवल यादों में'
Friday, 6 March 2020
सोशल मीडिया की मित्रता
कभी-कभी ज़िंदगी में अचानक कुछ अन अपेक्षित घटनायें घटित हो जाती हैं।
आपके पास अज्ञात नं. से किसी परिचित महिला का फोन आना, जिसे आपने कभी देखा नहीं, बस आवाज़ सुनी हो वो भी किसी अन्य मित्र के माध्यम से।
आपके पास सहायता की गुहार लगाना, उस तथाकथित मित्र से उसके जीवन में हस्तक्षेप न करने को कहना। अपनी आप-बीती सुनाना। उस तथाकथित मित्र द्वारा उसे प्रताड़ित किया जाना।
ये सब अन अपेक्षित था। वो तथाकथित मित्र जो कि सुशिक्षित, विद्वान व विवेकी पुरुष के रुप में स्थापित हुआ हो, उसके द्वारा किसी स्त्री को वैचारिक हिंसा व मानसिक प्रताड़ना देना, कुछ अजीब सा लगा।
ये क्या हो रहा है आखिर हमारे सुशिक्षित समाज में? आखिर कैसा नकाब ओढ़ा हुआ है इस सभ्य समाज ने?
सोशल मीडिया की ऐसी मित्रता का हश्र देखकर किसी पर भी विश्वास करना मुश्किल होता जा रहा है।
उन दोनों की पहचान यूं तो मीडिया से संबंधित है लेकिन यूं उज़ागर करना ठीक नहीं लग रहा।
एक स्त्री के रुप में सोच कर देखा जाये तो हैल्पलाईन आदि में शिकायत कर परिवार, समाज में बदनामी का डर उसे सता रहा है, वहीं मानसिक रुप से प्रताड़ना उसे दिनों दिन कमज़ोर कर रही है और उसके कैरियर के लिए भी घातक हो रही है। रेडियो की जॉब का इस्तीफा तैयार कर वो अपना कैरियर भी दांव पर लगा चुकी है।
ये सोशल मीडिया पर सभी के लिए एक सीख है कि एक संतुलन बनाकर ही इस प्रकार के संबंधों को स्वीकृति दें।
खासकर स्त्रियों के लिए कि वो भावनात्मक रुप से जुड़ते समय इन बातों का ध्यान रखें।
#ज्योत्सना
Tuesday, 21 January 2020
हाँ, एक पिता है वो...
Thursday, 9 January 2020
रोना ही है मुझको अब जी भर कर।
हर बार कहते हो मुझसे
पी जाती हूँ मैं अश़्कों को,
आँखों में उतर आती है
किसी बात पर जब नमी,
अचानक गायब हो जाती है,
बातों-बातों में,
यही कहना तुम्हारा हर बार होता है
कि पी जाती हूँ मैं अश़्कों को,
पर अब दूर हूँ तुमसे बहुत,
अब पी न पाऊँगी,
रोना ही है मुझको
अब जी भर कर...!
#ज्योत्सना