Sunday, 25 November 2018

संवेदनाओं की मौत...

संवेदनायें जताई जाती हैं
मन में घुमड़ते भावों से,
और अक्सर व्यक्त होती हैं
आँसूओं की बहती धारा से...
अचानक सूख जाती है
ये अश्रुधारा,
जब संवेदनायें मरने लगती हैं,
मन पत्थर होने लगता है और भावहीन
जैसे बंजर भूमि पर कोई बीज
अंकुरित नहीं होता,
बिना खाद, पानी व मानवीय प्रयासों के,
उसी तरह मन भी बंजर होने लगता है,
प्रेमरुपी खाद, पानी के बगैर,
और सूखने लगती है प्रेम की पौध,
मन भावशून्य हो जाता है तब
और आँखें शुष्क,
हाँ, संवेदनाओं की मौत भी
कुछ ऐसी ही होती है...!!!
#ज्योत्सना