हाँ, पसंद है मुझे
अतीत की यादों में रहना,
हर वो चीज़
जो जोड़ती है मुझे
मेरे अपनों से,
पसंद है मुझे
उन्हें सहेज़ कर रखना...
मिली है ये आदत मुझे,
विरासत में पिता से,
उन्हीं से सीखा
शब्दों को पिरोना भी,
पुराने बक्से में
वो पुरानी किताबें
सहेज़ कर रखना भी...
हर वो बात तुम्हारी भी
तीखी, मीठी,
रख दी है सहेज़ कर,
वैसी ही मिलेंगी,
जैसे कल की ही बात हो
हां,पसंद है मुझे
तुम्हें भी सहेज़ कर रखना...!!!
#ज्योत्सना